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दोस्तों आपने कभी ना कभी पढ़ा या सुना होगा कि आज इस कंपनी के आईपीओ ने निवेशकों का पैसा दुगना किया या उस कंपनी के आईपीओ में निवेश से निवेशकों को एक ही दिन में 40-50% लाभ हो गया या फलां कंपनी का आईपीओ नीचे खुला है। तब आपके मन में भी यह सवाल जरूर आया होगा कि आखिर IPO kya hota hai? आईपीओ में निवेश करने के क्या फायदे और नुकसान हैं? और क्या हम भी आईपीओ में पैसे लगा सकते हैं?
अगर आपके मन में भी कुछ ऐसे ही सवाल हैं तो आप बिल्कुल सही जगह पर आए हैं। ZTI Finance देता है आपको पर्सनल फाइनेंस और फाइनेंशियल फ्रीडम से जुड़ी पूरी जानकारी।
इस पोस्ट में आप जानेंगे कि IPO kya hota hai hindi me? इसके लिए कैसे अप्लाई कर सकते हैं और आईपीओ में निवेश के क्या फायदे और नुकसान हैं।

IPO Kya Hota Hai? (What is IPO?)
IPO का फुल फॉर्म होता है इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग (Initial Public Offering) या प्रारंभिक सार्वजनिक निर्गम या प्रथम सार्वजनिक प्रस्ताव।
साधारण भाषा में, जब कोई प्राइवेट कंपनी अपने शेयर पहली बार शेयर बाजार में लाती है जिससे आम लोग भी ये शेयर खरीद या बेच सकते हैं, तो उसे IPO कहा जाता है।
आईपीओ लाने के बाद एक प्राइवेट कंपनी पब्लिक कंपनी बन जाती है, जिसके शेयर कोई भी आम आदमी आसानी से खरीद या बेच सकता है।
किसी भी कंपनी का आईपीओ आने से पहले उस प्राइवेट कंपनी में कुछ ही शेयर धारक होते हैं, जो कंपनी के फाउंडर पार्टनर या उनके परिवार जन या दोस्त अथवा व्यावसायिक निवेशक हो सकते हैं, इन्हें वेंचर केपीटलिस्ट या एंजल इन्वेस्टर भी कहा जाता है।
वेंचर केपीटलिस्ट या एंजल इन्वेस्टर मुख्य रूप से स्टार्टअप्स में निवेश करते हैं ताकि इन स्टार्टअप के शेयर बाजार में लिस्ट होने पर वे बड़ा गुना मुनाफा कमा सकें।
अधिकांश कंपनियां अपना व्यवसाय बढ़ाने के लिए आईपीओ लाती हैं। आईपीओ से प्राप्त पूंजी का उपयोग करके कंपनी तेजी से विस्तार करती हैं या अपना कर्जा कम करने के लिए इस पूंजी का उपयोग करती हैं।
IPO lane ka purpose kya hota hai (Purpose of IPO)
किसी कंपनी के लिए आईपीओ लाने का मुख्य उद्देश्य कंपनी के लिए पूंजी की उपलब्धता बढ़ाना होता है। इसके अलावा कई बार प्राइवेट निवेशकों द्वारा कंपनी में अपना हिस्सा बेचकर लाभ कमाने के लिए भी आईपीओ लाया जाता है।
जब कंपनी आईपीओ के माध्यम से नए शेयर जारी करती है तो उसे फ्रेश ऑफर (Fresh Offer) कहा जाता है, जबकि यदि कंपनी का कोई मौजूदा शेयर धारक अपने शेयर आईपीओ के जरिये बेचता है तो उसे ऑफर फॉर सेल (Offer For Sale) कहा जाता है।
जब किसी कंपनी का आईपीओ लाया जाता है, तो उसमें कुछ हिस्सा फ्रेश ऑफर के रूप में और कुछ हिस्सा ऑफर फॉर सेल के रूप में होता है।
उदाहरण (Example)
मान लीजिए आपने एक कंपनी एबीसी प्राइवेट लिमिटेड ₹1,00,000 लगाकर शुरू की है। कुछ समय बाद आपको कंपनी के विस्तार के लिए या नयी रिसर्च करने के लिए या फिर नया कोई प्लांट लगाने के लिए पूंजी की आवश्यकता है। ऐसी स्तिथि में आप फ्रेश ऑफर के रूप में आईपीओ ला सकते हैं।
दूसरी स्तिथि में हो सकता है कि 5 साल बाद यह कंपनी ₹10,00,000 की हो जाती है। अब यदि आप इस कंपनी में अपनी हिस्सेदारी में से कुछ हिस्सेदारी बेचकर लाभ कमाना चाहते हैं या फिर अपनी पूरी हिस्सेदारी बेचकर अपना पैसा प्राप्त करना चाहते हैं । तो इस स्तिथि में आपको अपने शेयर किसी और व्यक्ति को बेचने पड़ेंगे।
इन शेयरों को शेयर बाजार के माध्यम से आम जनता के लिए खरीदने हेतु उपलब्ध कराने के लिए ऑफर फॉर सेल के रूप में आईपीओ लाना पड़ता है।
IPO Me Nivesh Se Kya Fayda Hota Hai (Pros of Investing in IPO)
- लिस्टिंग गेन
- लिक्विडिटी
- लंबी अवधि में अधिक लाभ
- जोखिम की कम सम्भावना
- पारदर्शिता
लिस्टिंग गेन (Listing Gain)
आईपीओ में निवेश करने का सबसे बड़ा फायदा शेयर के लिस्ट होने पर होने वाला लाभ है, जिसे लिस्टिंग गेन भी कहा जाता है। अधिकांश निवेशक आईपीओ में अच्छा लिस्टिंग गेन प्राप्त करने के लिए ही निवेश करते हैं।
आईपीओ लाते समय आमतौर पर कंपनियां शेयर की कीमत कंपनी के वैल्यूएशन की तुलना में कम रखती हैं। इस कारण जब शेयर लिस्ट होता है तो तुरंत ही शेयर का भाव बढ़ जाता है। इस प्रकार शेयरधारकों को कुछ ही दिनों में अच्छा मुनाफा मिल जाता है।
वर्ष 2021 में 3 आईपीओ ने अपनी लिस्टिंग के दिन 150% से अधिक मुनाफा दिया है। इसके अलावा 10 से अधिक आईपीओ ने एक ही दिन में 50% से ज्यादा का रिटर्न दिया है।
लिक्विडिटी (Liquidity)
किसी भी कंपनी का आईपीओ आने पर शेयर बाजार के माध्यम से कोई भी व्यक्ति इस कंपनी के शेयरों को खरीद व बेच सकता है। इस प्रकार आईपीओ किसी भी कंपनी में अपनी हिस्सेदारी कम करने या बढ़ाने का सबसे आसान तरीका है। आईपीओ लिस्ट होने के बाद कंपनी सार्वजनिक हो जाती है, जिसके स्टॉक खुले बाजार में ट्रेडिंग के लिए उपलब्ध होते हैं।
लंबी अवधि में अधिक लाभ (Huge Profit in Long Term)
जैसा की हम जानते हैं कि आईपीओ लाते समय शेयर की प्राइस कम रखती हैं। इस कारण जब कंपनी लंबे समय तक अच्छा प्रदर्शन करती है तो शेयरधारकों को कई गुना मुनाफा होता है।
अक्सर यह देखा जाता है कि आईपीओ के लिस्ट होने के बाद शेयर का प्राइस बढ़ जाता है। उस समय शेयर खरीदने से मुनाफा होने की संभावना कम हो जाती है। इसीलिए अधिकांश निवेशक आईपीओ में निवेश करना पसंद करते हैं।
जोखिम की कम सम्भावना (Less Risky)
आईपीओ में निवेश करने पर जोखिम कुछ हद तक सीमित हो जाता है। जब भी कोई नया आईपीओ आता है तो कई बड़ी ब्रोकरेज व इन्वेस्टमेंट फर्म उस कंपनी की बैलेंस शीट, मैनेजमेंट, कैश फ्लो, प्रॉफिट एंड लॉस आदि का अध्ययन कर उस आईपीओ के बारे में अपनी राय देती हैं। इन फर्मों के द्वारा दी गयी राय को ध्यान में रखकर यदि कोई आम निवेशक आईपीओ में निवेश करता है तो उसका जोखिम बहुत सीमित हो जाता है।
इसके अतिरिक्त आईपीओ में निवेश से पहले आईपीओ का जीएमपी यानी ग्रे मार्केट प्रीमियम (GMP) भी देखा जाता है। साधारण भाषा में इसे डिब्बा बाजार का भाव भी कहा जाता है।
जीएमपी (GMP or Gray Market Premium) किसी भी आईपीओ का एक अनाधिकृत भाव होता है। जीएमपी से हम यह अनुमान लगा सकते हैं कि कोई आईपीओ किस प्राइस पर लिस्ट होगा।
जैसे किसी आईपीओ का इश्यू प्राइस ₹100 है और उसका जीएमपी ₹50 चल रहा है, तो इसका मतलब है कि यह आईपीओ ₹150 पर लिस्ट हो सकता है और 50% का मुनाफा दे सकता है।
पारदर्शिता (Transparency)
किसी भी कंपनी द्वारा आईपीओ फाइल करने से लेकर लिस्टिंग तक की प्रक्रिया सेबी के नियमों के अनुसार पूर्णतः पारदर्शी होती है। आईपीओ शुरू होने से पहले ही आईपीओ की इश्यू साइज, शेयर प्राइस, लॉट साइज, विभिन्न वर्गों का कोटा, विशेष छूट व महत्वपूर्ण तारीखें सार्वजनिक कर दी जाती हैं। आईपीओ स्टार्ट होने के बाद भी प्रत्येक दिन किस श्रेणी में कितनी एप्लीकेशन लगी व इश्यू कितना सब्सक्राइब हुआ यह भी बताया जाता है।
कंपनी को प्रत्येक एप्लीकेशन पर एक लॉट में जितने शेयर हैं, उतने शेयर अलॉट करने पड़ते हैं। यदि निर्धारित लॉट से ज्यादा एप्लीकेशन प्राप्त होती हैं तो लॉटरी के माध्यम से शेयर अलॉट किये जाते हैं।
IPO Me Nivesh Se Kya Nuksan Hota Hai (Cons of Investing in IPO)
- नुकसान होने की संभावना
- अलॉटमेंट प्राप्त ना होना
- सीमित निवेश कर पाना
- भ्रामक सूचना का प्रसार
- बड़े निवेशकों द्वारा शेयर प्राइस को मेनुपुलेट करना
नुकसान होने की संभावना (Possibility of Loss)
आईपीओ में निवेश करने पर नुकसान होने की संभावना हमेशा बनी रहती है। आईपीओ में निवेश करना एक तरह से शेयर बाजार में निवेश करना ही होता है, जिसमें कोई भी व्यक्ति हमेशा लाभ नही कमा सकता।
इसलिए आईपीओ में निवेश करने से पहले आपको अपनी जोखिम लेने की क्षमता का आकलन कर लेना चाहिए तथा कंपनी की बैलेंस शीट, मैनेजमेंट, आईपीओ का जुड़े दस्तावेज व विशेषज्ञों की राय को ध्यान में रखकर निवेश करने का निर्णय लेना चाहिए। ऐसा करने से आप किसी वित्तीय संकट में फंसने से बच सकते हैं।
अलॉटमेंट प्राप्त ना होना (Not Getting Allotment)
जब भी किसी आईपीओ के लिए निर्धारित लॉट से अधिक एप्लीकेशन प्राप्त हो जाती है तो शेयर अलॉटमेंट लॉटरी सिस्टम से किया जाता है। इस स्तिथि में आईपीओ के लिए अप्लाई करने वाले सभी लोगों को अलॉटमेंट प्राप्त नहीं होता।
यह भी हो सकता है की आपने एक से अधिक लॉट के लिए अप्लाई किया हो, तब भी आपको एक ही लॉट प्राप्त हो या एक भी लॉट प्राप्त ना हो। ऐसा होने पर आप आईपीओ में निवेश करने के चक्कर में किसी अन्य अच्छे शेयर में निवेश करने का अवसर खो सकते हैं।
सीमित निवेश कर पाना (Limited Scope of Investment)
आईपीओ में निवेश करने का एक नुकसान यह भी है कि आईपीओ में आप एक सीमित राशि ही निवेश कर सकते हैं। आईपीओ में निवेश के लिए न्यूनतम ₹14,000 की आवश्यकता होती है।
कोई व्यक्ति सेबी के नियमों के अनुसार ही आईपीओ में पैसा लगा सकता है। सेबी ने आईपीओ में निवेश करने के लिए न्यूनतम व अधिकतम राशि की कुछ सीमाएं तय कर रखी हैं। रिटेल निवेशक, HNI, QII, NII आदि इस सीमा के अनुसार ही आईपीओ में पैसा लगते हैं।
ऐसे में यदि आपके पास न्यूनतम राशि से कम राशि है तो आप आईपीओ में निवेश नहीं कर सकते। वहीं यदि आपके पास अधिकतम राशि से अधिक राशि है, तो भी आप अधिकतम राशि तक ही निवेश कर सकते हैं।
भ्रामक सूचना का प्रसार (Spread of Misleading Information)
कुछ कंपनियां आईपीओ के माध्यम से निवेशकों से पैसा लेने के लिए अपनी बैलेंस शीट व रिपोर्ट्स में हेराफेरी कर देती हैं। इसके अलावा कुछ कंपनियां इन्वेस्टमेंट एडवाईज़र या इन्फ्लुएंसर्स को काफी पैसा देती हैं ताकि वे लोगों को आईपीओ में अधिक से अधिक निवेश करने की सलाह दें।
ऐसे में निवेशक सही निर्णय नहीं ले पाते और गलत आईपीओ में निवेश करने के कारण उनका काफी नुकसान हो जाता है।
बड़े निवेशकों द्वारा शेयर प्राइस को मेनुपुलेट करना (Price Manipulation By Big Investors)
जब किसी छोटी कंपनी का आईपीओ आता है तो कई बार बड़े निवेशक आईपीओ लिस्ट होने के बाद शेयर प्राइस को बिना किसी उचित कारण के काफी ऊपर या नीचे कर देते हैं।
इस कारण रिटेल निवेशक या तो डर के कारण शेयर कम भाव में ही बेच देते हैं या फिर लालच में आकर काफी ऊपर के भाव में खरीद लेते हैं। इन दोनों ही परिस्थितियों में रिटेल निवेशक को नुकसान उठाना पड़ता है।
IPO Me Kon Nivesh Kar Sakta Hai? (Who Can Invest In IPO?)
कोई भी व्यक्ति जिसके पास एक डीमैट अकाउंट है वह आईपीओ में निवेश कर सकता है। बस वह व्यक्ति सेबी द्वारा निर्धारित प्रतिबंधित व्यक्तियों की श्रेणी में नहीं होना चाहिए।
सेबी द्वारा निवेशकों को 4 श्रेणियों में विभाजित किया गया है – रिटेल निवेशक (RII), नॉन इंस्टीट्यूशनल निवेशक (NII), हाई नेटवर्थ इंडिविजुअल्स (HNI) व क्वालिफ़ाइड इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर (QII)
इन सभी श्रेणियों में न्यूनतम व अधिकतम निवेश की सीमा निर्धारित की गयी है। जिसे ध्यान में रखकर ही आपको आईपीओ में निवेश करना चाहिए। रिटेल निवेशक अधिकतम ₹2,00,000 ही आईपीओ में निवेश कर सकते हैं।
IPO में निवेश करने के लिए आप Zerodha पर account बना सकते हैं और अपनी investment की journey शुरू कर सकते हैं।
अंतिम राय (Final Words)
अगर आप यह आर्टिकल अभी पढ़ रहे हैं तो आप समझ चुके होंगे कि आईपीओ क्या होता है? आईपीओ में निवेश करने के क्या फायदे और नुकसान हैं? आईपीओ में कौन निवेश कर सकता है और कैसे निवेश कर सकता है?
अंत में हमारा यही सुझाव है कि यदि आप आईपीओ में निवेश करना चाहते हैं तो अच्छी तरह से रिसर्च करके निवेश करें। सोच समझ कर किया गया निवेश आपको लम्बे समय में अच्छा लाभ दे सकता है और आपको फिनेंशिअली फ्री होने की दिशा में एक कदम आगे बढ़ा सकता है।
लालच में आकर कभी भी अपने सारे पैसे एकसाथ आईपीओ में निवेश ना करें। अपनी जोखिम लेने की क्षमता का आकलन करके ही निवेश करें। निवेश से सम्बंधित किसी भी सलाह के लिए अपने वित्तीय सलाहकार से बात करें।
अगर अभी भी आईपीओ को लेकर या पर्सनल फाइनेंस को लेकर आपके मन में कोई सवाल है या कोई डाउट है तो आप नीचे कमेंट कर सकते हैं। अगर आपको यह पोस्ट अच्छी लगी तो देश के हर नागरिक को वित्तीय साक्षर बनाने में मदद कीजिये और इस पोस्ट को शेयर कीजिये अपनी फैमिली और फ्रैंड्स के साथ ताकि वे भी निवेश के बारे में अपनी नॉलेज बढ़ा सकें।
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