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आजकल हर कोई पैसे बचाकर निवेश करना चाहता है। निवेश एक ऐसा माध्यम है, जिसके जरिये आप अपने पैसों का इस्तेमाल करके और ज्यादा पैसे कमा सकते हैं। अपने पैसों को निवेश करने के कई सारे तरीके हैं, जिनमें एफडी, आरडी, स्टॉक्स, बॉन्ड, म्यूचुअल फंड आदि मुख्य हैं। आजकल निवेश सलाहकार एसआईपी में भी निवेश करने की सलाह देते हैं। आपने भी एसआईपी के बारे में कभी ना कभी जरूर सुना होगा। लेकिन क्या आप भी जानना चाहते हैं कि एसआईपी क्या है? एसआईपी के क्या फायदे हैं? और एसआईपी में निवेश कैसे करें?
इस पोस्ट में आप यह भी जानेंगे कि एसआईपी कब करनी चाहिये, एसआईपी के क्या नुकसान हैं और सही एसआईपी कैसे चुनें। साथ ही पोस्ट के अंत में एसआईपी से जुड़े कुछ जरूरी सवालों के जवाब दिए गए हैं ताकि आपके मन में एसआईपी से जुड़ा कोई सवाल नहीं रहे।

एसआईपी क्या होता है? (What is SIP)
सिस्टमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (Systematic Investment Plan) यानी एसआईपी, म्यूचुअल फंड में निवेश का एक ऐसा तरीका है, जिसमें नियमित अंतराल में निवेश के लिए एक निश्चित रकम आपके बैंक खाते से म्यूचुअल फंड में जमा हो जाती है। एसआईपी के माध्यम से सामान्यतः हर महिने म्यूचुअल फंड में पैसे डाले जाते हैं। इसके लिए आपको एसआईपी शुरू करते समय सिर्फ एक बार अप्लाई करना होता है।
एसआईपी साप्ताहिक, पाक्षिक, मासिक और त्रैमासिक भी हो सकती है। एसआईपी स्टार्ट करते समय ही आपको एसआईपी की तारीख व निवेश की रकम चुननी पड़ती है। इसके बाद जिस प्रकार बैंक ईएमआई काटता है, उसी प्रकार नियत दिनांक को एसआईपी की रकम काटकर म्यूचुअल फंड में जमा करा देता है।
इस तरह एसआईपी निवेश करने का एक अनुशासित तरीका है, जिसके जरिये आप छोटी छोटी राशि लम्बे समय तक निवेश करके एक बड़ी राशि इकट्ठी कर सकते हो।
एसआईपी कैसे काम करती है? (How does SIP work)
एसआईपी कैसे काम करती है यह जानने के लिए आपको पहले यह जानना होगा कि म्यूचुअल फंड कैसे काम करते हैं।
म्यूचुअल फंड में जब हम पैसे डालते हैं तो हम एक साथ कई सारी कंपनियों के शेयरों का कुछ हिस्सा खरीद लेते हैं। जब आप एसआईपी करते हैं, तो आप हर महिने म्यूचुअल फंड खरीदते हैं। इस तरह आप हर महिने उन कंपनियों के शेयर खरीदते रहते हैं। लम्बे समय तक ऐसा से आपके पास काफी सारे शेयर इकट्ठे हो जाते हैं, जो की म्यूचुअल फंड की यूनिट्स के रूप में होते हैं।
म्यूचुअल फंड द्वारा एक यूनिट का भाव तय किया जाता है, जिसे म्यूचुअल फंड की एनएवी कहा जाता है। यह एनएवी इन कंपनियों के शेयरों के भाव के हिसाब से बदलती रहती है। जैसे-जैसे एनएवी बढ़ती है, वैसे-वैसे आपका प्रॉफिट भी बढ़ता है।
एसआईपी के जरिये जब आप हर महिने एक निश्चित राशि निवेश करते हैं, तो जिस महिने एनएवी ज्यादा होती है उस समय आपको कम यूनिट मिलती हैं और जिस समय एनएवी कम होती है, उस समय ज्यादा यूनिट मिलती हैं। इससे आपकी खरीदी हुई यूनिट्स की एवरेज एनएवी कम हो जाती है। इन यूनिट्स को वर्तमान एनएवी से गुणा करके आप अपने पोर्टफोलियो की करंट वैल्यू निकाल सकते हैं।
उदाहरण (Example)
इसे ऐसे समझ सकते हैं कि अगर आप 10-01-2022 को ₹1000 की एसआईपी शुरू करते हैं और उस दिन किसी म्यूचुअल फंड की एनएवी 20 है, तो आपको उस म्यूचुअल फंड की 50 यूनिट मिलेंगी। अब अगले महिने की 10 तारीख को एनएवी 21 हो जाती है, तो आपको ₹1000 में केवल 47.619 यूनिट ही मिलेंगी। इसी तरह हर महिने की ₹1000 निवेश करने पर अलग-अलग एनएवी के हिसाब से यूनिट्स प्राप्त होंगी।
नीचे दी गयी टेबल में 12 महिनों तक हर महिने ₹1000 निवेश करने पर किसी म्यूचुअल फंड की एनएवी और उससे प्राप्त होने वाली यूनिट्स को दर्शाया गया है।
Date of Investment | Amount Invested | NAV | Units Received |
---|---|---|---|
10-01-2022 | 1000 | 20 | 50 |
10-02-2022 | 1000 | 21 | 47.619 |
10-03-2022 | 1000 | 21.5 | 46.5116 |
10-04-2022 | 1000 | 20.8 | 48.0769 |
10-05-2022 | 1000 | 19 | 52.6316 |
10-06-2022 | 1000 | 18.5 | 54.0541 |
10-07-2022 | 1000 | 17 | 58.8235 |
10-08-2022 | 1000 | 17.5 | 57.1429 |
10-09-2022 | 1000 | 18 | 55.5556 |
10-10-2022 | 1000 | 20 | 50 |
10-11-2022 | 1000 | 20.2 | 49.505 |
10-12-2022 | 1000 | 22 | 45.4545 |
Total Investment | 12000 |
Total Units | 615.37 |
Average NAV | 19.63 |
Current NAV | 21.5 |
Current Value of Investment | 13230.55 |
इस प्रकार आप देख सकते हैं कि एक साल तक निवेश करने के बाद कुल ₹12000 का निवेश हुआ और कुल 615.37 यूनिट मिली। अब अगर 31-12-2022 को फंड की एनएवी 21.5 हो, तो उस दिन निवेश की करंट वैल्यू ₹13230.55 होगी।
एसआईपी कितनी तरह की होती है (Types of SIP)
निवेशकों की सुविधा के लिए एसेट मैनेजमेंट कंपनियों की ओर से एसआईपी के लिए कई सारे ऑप्शन उपलब्ध हैं। निवेशक अपनी आय, निवेश की अवधि व वित्तीय लक्ष्यों को ध्यान में रखते हुए एसआईपी का चुनाव कर सकता है। मुख्य रूप से एसआईपी के ये 3 ऑप्शन उपलब्ध होते हैं:-
- फिक्स एसआईपी
- टॉपअप एसआईपी
- फ्लेक्सीबल एसआईपी
ये तीनों ही एसआईपी एक ही तरह से काम करती हैं। ये सिर्फ निवेश की राशि तय करने के आधार पर ही अलग होती हैं।
फिक्स एसआईपी (Fixed SIP)
फिक्स एसआईपी में निवेश की राशि पूरी अवधि के लिए फिक्स रहती है। एसआईपी की संपूर्ण अवधि के दौरान एसआईपी की राशि बदली नहीं जा सकती। जैसे अगर आपने हर महिने ₹2000 की एसआईपी 10 साल के लिए शुरू की है, तो आपको पुरे 10 साल तक हर महिने ₹2000 ही निवेश करने होंगे। आप इस राशि को काम या ज्यादा नहीं कर सकते।
टॉपअप एसआईपी (Top-Up SIP)
टॉपअप एसआईपी में महिने निवेश होने वाली राशि एक नियमित अंतराल में अपने आप बढ़ जाती है। जैसे की इस एसआईपी में निवेश की राशि हर साल 10% बढ़ती जायेगी। यह एसआईपी ऐसे निवेशकों के लिए उपयोगी होती है, जो हर साल अपनी इनकम बढ़ने के साथ अपना निवेश भी बढ़ाना चाहते हैं।
फ्लेक्सीबल एसआईपी (Flexible SIP)
फ्लेक्सीबल एसआईपी में आप कभी भी निवेश की राशि कम या ज्यादा कर सकते हैं। लेकिन जब तक आप इसमें कोई परिवर्तन नहीं करेंगे, तब तक हर महिने पहले वाली राशि ही निवेश होती रहेगी। यह एसआईपी ऐसे निवेशकों के लिए उपयुक्त है, जिनकी इनकम फिक्स नहीं रहती है।
एसआईपी के फायदे (Pro’s of SIP)
जब भी हम कोई काम करते हैं तो पहले उसके फायदे और नुकसान पता करते हैं। ऐसे ही एसआईपी शुरू करने से पहले भी आपको इसके फायदे और नुकसान अच्छी तरह से पता कर लेने चाहिए। अगर आप निवेश करना शुरू कर रहे हैं या छोटी राशि से निवेश करना चाहते हैं, तो इसके लिए एसआईपी सबसे अच्छा ऑप्शन है।
- कम्पाउण्डिंग का फायदा (Benefit of Compounding)
- रूपी-कॉस्ट एवरेजिंग (Rupee-Cost Averaging)
- निवेश में नियमितता (Discipline in Investing)
- पैसों का कुशल प्रबंधन (Better Management of Money)
- वित्तीय लक्ष्य प्राप्त करना आसान (Easy to Achieve Financial Goals)
- छोटी राशि से निवेश संभव (Possible To Invest With Small Amount)
कम्पाउण्डिंग का फायदा (Benefit of Compounding)
एसआईपी के जरिये निवेश करने का सबसे बड़ा फायदा यह है की इसमें निवेशकों को कम्पाउन्डिंग देखने को मिलती है।
कम्पाउन्डिंग का मतलब है कि म्यूचुअल फंड में निवेश करने पर आपको एक साल में जो रिटर्न मिलता है, अगले साल उस रिटर्न पर भी रिटर्न मिलता है।
उदाहरण के लिए अगर आज आपने सिर्फ एक बार ₹1,00,000 निवेश किये और आपको 12% रिटर्न मिलता है, तो एक साल में आपको ₹1,12,000 मिलेंगे। लेकिन आपको अगले साल ₹1,00,000 के बजाय ₹1,12,000 पर 12% रिटर्न मिलेगा। 10 साल बाद ये ₹1,00,000 बढ़कर ₹3,10,585 हो जायेंगे। इसी तरह बढ़ते हुए ये 15 साल में ₹5,47,357 और 20 साल में ₹9,64,629 हो जायेंगे। अब अगर आप इस पैसे को एक और साल निवेशित रखेंगे तो 21वें साल ये बढ़कर ₹10,80,385 हो जायेंगे।
इस तरह हर साल मिलने वाले रिटर्न पर रिटर्न मिलने से जब लम्बे समय के लिए निवेश किया जाता है तो निवेश की गयी राशि बहुत तेजी से बढ़ती है। और एक समय बाद निवेश की गयी राशि से भी अधिक रिटर्न हर साल मिलने लगता है। महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन ने कम्पाउन्डिंग को विश्व का आठवां अजूबा इसीलिए कहा है।
रूपी-कॉस्ट एवरेजिंग (Rupee-Cost Averaging)
हर कोई शेयर नीचे खरीद कर ऊपर बेचना चाहता है। लेकिन कोई भी व्यक्ति हमेशा सही-सही अंदाजा नहीं लगा सकता कि शेयर बाजार कब ऊपर जायेगा और कब नीचे जायेगा। ऐसे में निवेश करने के लिए किसी एक विशेष दिन का इंतजार करना सही नहीं है।
इसके साथ ही एक ही बार में पूरा पैसा लगा देने से कई बार बाजार काफी नीचे चला जाता है। उस समय और निवेश करने के लिए पैसा ही नहीं बचता है। ऐसे में एसआईपी एक बेहतर विकल्प होता है। एसआईपी के जरिये निवेश करने से आपको रूपी कॉस्ट एवरेजिंग का भी फायदा मिलता है।
रूपी कॉस्ट एवरेजिंग का मतलब है कि आप किसी म्यूचुअल फंड की कीमत देखे बिना हर महिने एक निश्चित राशि निवेश करते रहते हैं।
ऐसे में जब उसकी कीमत ज्यादा है, तब आपको कम यूनिट मिलती हैं और जब कीमत कम होती है, उस समय ज्यादा यूनिट मिलती है। इस तरह आपकी एक यूनिट खरीदने की औसत कीमत (एवरेज प्राइस) कम हो जाती है।
Date of Investment | Amount Invested | NAV | Units Received |
---|---|---|---|
10-01-2022 | 1000 | 20 | 50 |
10-02-2022 | 1000 | 21 | 47.619 |
10-03-2022 | 1000 | 21.5 | 46.5116 |
10-04-2022 | 1000 | 20.8 | 48.0769 |
10-05-2022 | 1000 | 19 | 52.6316 |
10-06-2022 | 1000 | 18.5 | 54.0541 |
10-07-2022 | 1000 | 17 | 58.8235 |
10-08-2022 | 1000 | 17.5 | 57.1429 |
10-09-2022 | 1000 | 18 | 55.5556 |
10-10-2022 | 1000 | 20 | 50 |
10-11-2022 | 1000 | 20.2 | 49.505 |
10-12-2022 | 1000 | 22 | 45.4545 |
इसके अनुसार अगर आप हर महीने ₹1000 निवेश करते हैं तो हर महिने अलग अलग एनएवी पर निवेश करने पर एक साल के अंत में एवरेज एनएवी 19.63 होगी।
निवेश में नियमितता (Discipline in Investing)
एसआईपी शुरू करने के लिए आपको एक ही बार अप्लाई करना होता है। उसके बाद हर महिने आपके बैंक कहते से राशि कटती रहती है। इसके लिए आपको अलग से कुछ नहीं करना पड़ता है। इससे आप बाजार के उतार चढ़ाव पर ध्यान दिए बिना नियमित रूप से निवेश कर पाते हैं।
कभी कभी बड़ी राशि निवेश करने से अच्छा है नियमित रूप से छोटी छोटी राशि निवेश करना। अनुशासित होकर की गयी ये छोटी छोटी बचत ही भविष्य में बहुत बड़ी संपत्ति का निर्माण करती है। बूंद बूंद करके सिर्फ घड़ा ही नहीं भरता बल्कि सागर का निर्माण भी हो जाता है।
पैसों का कुशल प्रबंधन (Better Management of Money)
एसआईपी म्यूचुअल फंड में निवेश करने का एक तरीका है। म्यूचुअल फंड को मैनेज करने के लिए फंड मैनेजर होते हैं, जो निवेश के क्षेत्र के एक्सपर्ट होते हैं। जब आप एसआईपी करते हैं तो आपका निवेश किया हुआ पैसा इन फंड मैनेजर द्वारा मैनेज किया जाता है। ये लोग इस पैसे का कुशलता से प्रबंधन कर सकते हैं और उसे सही जगह निवेश कर हमें ज्यादा से ज्यादा रिटर्न दिला सकते हैं।
वित्तीय लक्ष्य प्राप्त करना आसान (Easy to Achieve Financial Goals)
एसआईपी आपके वित्तीय लक्ष्यों को प्राप्त करने का सबसे अच्छा साधन है। एसआईपी कैलकुलेटर की मदद से आप जान सकते हैं कि आपके वित्तीय लक्ष्य को पूरा करने के लिए आज से कितने रुपये निवेश करना जरूरी है। इसके बाद आप उतने रुपये की एसआईपी शुरू कर सकते हैं और अपने भविष्य को लेकर निश्चिन्त हो सकते हैं।
छोटी राशि से निवेश संभव (Possible To Invest With Small Amount)
कई लोगों का मानना है कि निवेश करने के लिए बहुत बड़ी राशि की जरुरत होती है। लेकिन एसआईपी के जरिये आप ₹500 से भी निवेश शुरू कर सकते हो। कुछ लोग ऐसे भी हैं जो यह सोचते हैं की ₹500 निवेश करने से भला क्या हो जायेगा। लेकिन अगर आप ₹500 हर महिने 30 साल के लिए निवेश करते हैं और उस पर आपको सालाना 12% रिटर्न मिलता है, तो आपको 30 साल बाद लगभग ₹17,65,000 मिलेंगे।
लेकिन अगर आप 15 साल बाद निवेश करने की सोचते हैं और ₹3500 निवेश करना शुरू करते हैं तो अगले 15 साल में आपको सिर्फ ₹17,66,000 ही मिलेंगे।
मतलब किसी लक्ष्य को 30 साल में पूरा करना चाहते हैं लेकिन 15 साल की देरी से निवेश शुरू करने पर आपको वर्तमान की तुलना में हर महिने 7 गुना अधिक राशि निवेश करनी पड़ेगी।
तो क्या आप भी सोचते हैं कि ₹500 का निवेश बहुत छोटा होता है। एसआईपी में असली जादू समय का है पैसों का नहीं। शायद इसीलिए कहा भी गया है कि समय बड़ा बलवान होता है।
एसआईपी के नुकसान (Con’s Of SIP)
जिस तरह निवेश के हर तरीके के कुछ फायदे और नुकसान होते हैं, उसी तरह एसआईपी के इतने सारे फायदे होने के साथ ही कुछ नुकसान भी हैं। एसआईपी के जरिये निवेश करने में नुकसान की संभावना अधिकतर कम या गलत जानकारी होने के कारण ही होती है। कई बार ब्रोकर भी अपने कमीशन के चक्कर में निवेशकों का नुकसान करा देते हैं। तो चलिए जानते हैं कि एसआईपी के क्या क्या संभावित नुकसान हो सकते हैं।
- म्यूचुअल फंड स्कीम का गलत चुनाव (Wrong Selection Of Mutual Fund)
- नुकसान की संभावना (Possibility Of Loss)
- छोटी अवधि के निवेश के लिए उपयुक्त नहीं (Not Suitable For Short Duration)
- बढ़ते हुए बाजार में कम रिटर्न (Low Return In Rising Market)
- अनियमित आय वाले लोगों के लिये उपयुक्त नहीं (Not Suitable For People With Irragular Income)
- रिटर्न पर टैक्स की बचत नहीं (No Tax Benefit On Return)
म्यूचुअल फंड स्कीम का गलत चुनाव (Wrong Selection Of Mutual Fund)
एसआईपी करते समय सबसे बड़ी गलती म्यूचुअल फंड के चुनाव में होती है। आपको सबसे पहले अपनी जोखिम लेने की क्षमता और वित्तीय लक्ष्यों को ध्यान में रखते हुए सही म्यूचुअल फंड चुनना चाहिये। उसके बाद ही उस म्यूचुअल फंड में एसआईपी शुरू करनी चाहिये।
कई बार निवेशक कम जोखिम लेने की क्षमता के बावजूद भी ज्यादा रिटर्न के चक्कर में स्मॉल कैप फंड या किसी थीमेटिक फंड में निवेश कर देते हैं। ऐसा करने से उन्हें कई बार नुकसान उठाना पड़ता है या काफी लंबे समय तक पोर्टफोलियो का रिटर्न नेगेटिव ही रहता है।
इसके साथ ही कभी भी सिर्फ दूसरों के कहने में आकर भी निवेश नहीं करना चाहिये। क्योंकि यह जरूरी नहीं कि जो चीज़ एक के लिए सही हो वह दूसरे के लिए भी सही हो। यह भी हो सकता है कि सामने वाला अपने किसी निजी स्वार्थ के लिए आपको किसी विशेष फंड में निवेश की राय दे रहा हो।
नुकसान की संभावना (Possibility Of Loss)
एसआईपी के जरिये निवेश करने पर भी इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि आपको नुकसान नहीं हो सकता। एसआईपी म्यूचुअल फंड में निवेश करने का एक माध्यम है, और म्यूचुअल फंड में निवेश करके आप अप्रत्यक्ष रूप से शेयर बाजार में निवेश करते हो। ऐसे में जब कभी शेयर बाजार में गिरावट आएगी तो एसआईपी का रिटर्न भी नेगेटिव भी हो सकता है।
इक्विटि फंड की तुलना में डेट फंड कम जोखिम भरे होते हैं और उनमें नुकसान होने की संभावना भी कम होती है।
छोटी अवधि के निवेश के लिए उपयुक्त नहीं (Not Suitable For Short Duration)
छोटी अवधि के निवेश के लिए एसआईपी अच्छा ऑप्शन नहीं है। एसआईपी में छोटी अवधि के लिये किये गये निवेश में शेयर बाज़ार की गिरावट के कारण नुकसान होने की संभावना बनी रहती है। साथ ही छोटी अवधि में कम्पाउंडिंग का फायदा भी नहीं मिल पाता है।
हालांकि कम अवधि के निवेश के लिए डेट फंड का चुनाव कर सकते हैं, इनमें जोखिम बहुत कम होता है। लेकिन फिर भी कुछ ना कुछ जोखिम तो होता ही है।
बढ़ते हुए बाजार में कम रिटर्न (Low Return In Rising Market)
अगर आपके निवेश के दौरान शेयर बाजार सीधे ऊपर ही जाता है, तो आपको एसआईपी करने पर शेयर बाजार की तुलना में कम रिटर्न मिलेगा। ऐसा इसलिए क्योंकि अगर हर बार आपने पिछली बार जिस एनएवी पर निवेश किया था, अगली बार उससे ज्यादा एनएवी पर निवेश करेंगे तो आपकी एवरेज एनएवी बढ़ जायेगी और इससे आपका रिटर्न कम हो जायेगा।
अनियमित आय वाले लोगों के लिये उपयुक्त नहीं (Not Suitable For People With Irragular Income)
एसआईपी में महिने या एक निश्चित अवधि में निश्चित राशि का निवेश करना पड़ता है। ऐसे में यदि किसी व्यक्ति की आय अनियमित है, तो उसके लिए हर महिने समान राशि का निवेश करना मुश्किल हो सकता है।
इसलिए अनियमित आय वाले लोगों को उतनी ही रकम की एसआईपी शुरू करनी चाहिये, जितनी वे हर महीने आसानी से निवेश कर सकें।
रिटर्न पर टैक्स की बचत नहीं (No Tax Benefit On Return)
एसआईपी से प्राप्त होने वाला रिटर्न टैक्स फ्री नहीं है। इक्विटी व डेट फंड दोनों में निवेश की अवधि के हिसाब से लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स व शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स देना पड़ता है।
तो अब तक आप जान चुके हैं कि एसआईपी क्या है, एसआईपी के क्या फायदे और नुकसान हैं। एसआईपी के जरिये निवेश करने के जितने ज्यादा फायदे हैं, उतने ही कम नुकसान हैं। अगर लम्बे समय तक एसआईपी की जाये तो नुकसान का जोखिम बहुत कम हो जाता है। इसके साथ ही एसआईपी में कम्पाउंडिंग का फायदा भी मिलता है, जो इसे किसी भी अन्य निवेश से बेहतर ऑप्शन बनाता है।
तो अब आप भी एसआईपी शुरू करने के बारे में सोच रहे होंगे। लेकिन अब आपका सवाल है कि आखिर एसआईपी शुरू कैसे करें? इसका जवाब आपको आगे दिया जा रहा है।
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एसआईपी कैसे शुरू करें (How To Start SIP)
एसआईपी शुरू करने के लिए आपको सबसे पहले म्यूचुअल फंड की वेबसाइट या किसी ब्रोकर के पास अपना अकाउंट खुलवाना होगा। आजकल बहुत से ऑनलाइन एप हैं, जो आपको सारे म्यूचुअल फंड एक ही एप से खरीदने की सुविधा देते हैं। ऐसा ही एक एप है KUVERA
KUVERA पर आप किसी भी म्यूचुअल फंड हाऊस के किसी भी फंड में निवेश कर सकते हैं। इसके साथ ही KUVERA आपको बिना किसी फीस के डायरेक्ट फंड में निवेश की सुविधा भी देता है, जिससे आपका सालाना 1.0 से 1.5% तक कमीशन बचता है। KUVERA के माध्यम से एसआईपी शुरू करने के स्टेप नीचे दिए गए हैं-
- सही म्यूचुअल फंड का चुनाव करें
- एसआईपी ऑप्शन चुनें
- एसआईपी की तारीख व निवेश की राशि चुनें
- अपनी बैंक डिटेल भरें
- सबमिट बटन पर क्लिक करें
सही म्यूचुअल फंड का चुनाव करें (Choose Right Mutual Fund)
एसआईपी शुरू करने के लिए आपको सबसे पहले अपने लिए बेस्ट म्यूचुअल फंड का चुनाव करना होगा। इसके लिए आपको अपनी जोखिम लेने की क्षमता, आय, निवेश की अवधि तथा वित्तीय लक्ष्यों को ध्यान में रखते हुए ही म्यूचुअल फंड चुनना है। अपने लक्ष्यों के अनुसार आप एक से अधिक म्यूचुअल फंड भी चुन सकते हैं।
एक से अधिक म्यूचुअल फंड स्कीम चुनते समय इस बात का ध्यान रखें कि किस सेक्टर में कितना एसेट अलोकेशन करना है। गलत एसेट अलोकेशन से भी आपकी वित्तीय लक्ष्यों को पूरा होने में समय लग सकता है।
एसआईपी ऑप्शन चुनें (Choose SIP Option)
एक बार म्यूचुअल फंड सलेक्ट करने से बाद आपको एसआईपी और लम्पसम या वन टाइम का ऑप्शन मिलेगा। इसमें आपको एसआईपी का ऑप्शन चुनना है।
एसआईपी की तारीख व निवेश की राशि चुनें (Choose Date And Amount For SIP)
इसके बाद आपको एसआईपी की तारीख और निवेश की जाने वाली राशि चुननी है। इसमें यह ध्यान रखना है कि एसआईपी की तारीख आपको ऐसी चुननी है, जिस तारीख तक आपको सैलरी खाते में आ ही जाती हो। इसके साथ ही निवेश की राशि भी अपने लक्ष्यों के हिसाब से कैलकुलेट करके निश्चित करनी चाहिये।
अपनी बैंक डिटेल भरें (Fill Bank Details)
इसके बाद आपको अपने बैंक की डिटेल भरनी है। इसमें उस बैंक खाते की जानकारी देनी होती है, जिस खाते से एसआईपी कटेगी और म्यूचुअल फंड से विड्रॉ करने पर पैसा इसी खाते में आयेगा।
सबमिट बटन पर क्लिक करें (Click On Submit Button)
बैंक डिटेल भरने के बाद एक बार सब दोबारा चेक कर लें और सबमिट बटन पर क्लिक करें। इससे आपको एसआईपी स्टार्ट हो जायेगी और अगले महिने की निश्चित तारीख को आपके बैंक खाते से राशि काट जायेगी।
एसआईपी क्यों करनी चाहिए? (Why To Start SIP)
अपने बचाये हुए पैसों को बढ़ाने के लिये, अपने पैसों से पैसे कमाने के लिये और अपने फाइनेंशियल गोल्स को पूरा करने के लिए एसआईपी करनी चाहिये। एसआईपी अपने पैसे को कंपाउंड कराने का बेस्ट तरीका है। इससे आप अपनी आने वाली पीढ़ियों को अमीर बना सकते हैं।
आपको अपने बच्चों की पढ़ाई या शादी के लिए पैसे बचाने हों या अपने रिटायरमेंट के लिए फंड जुटाना हो या फिर आप वर्ल्ड टूर करना चाहते हों, इन सब सपनों को आप एसआईपी के माध्यम से आसानी से पूरा कर सकते हैं। अगर आप ₹500 निवेश करके भी ₹2,00,00,000 बना सकते हैं, तो फिर आप ही बताइये कि आपको एसआईपी क्यों नहीं शुरू करनी चाहिए?
एसआईपी से जुड़े सामान्य प्रश्न (FAQ)
अधिकतर फंड्स में ₹1000 से निवेश शुरू किया जा सकता है, जबकि कुछ फंड्स ₹100 से भी एसआईपी शुरू करने की सुविधा देते हैं।
ELSS फंड की एसआईपी को छोड़कर किसी और एसआईपी में लॉक-इन पीरियड नहीं होता। हालांकि अधिकांश म्यूचुअल फंड में एक साल से पहले पैसे निकालने पर 1% एग्जिट लोड लगता है।
एसआईपी में अधिकतम निवेश की कोई सीमा नहीं है। आप जितने चाहे उतने पैसे निवेश कर सकते हैं।
एसआईपी को आप जब चाहे तब बंद कर सकते हैं। इसके साथ ही आजकल एसआईपी को पॉज और स्किप करने का ऑप्शन भी उपलब्ध होता है।
एसआईपी बंद करने पर आप चाहें तो अपने पैसे निकाल भी सकते हैं और चाहें तो अपने पैसे निवेशित ही रख सकते हैं ताकि ये पैसे और बढ़ सकें।
वैसे तो एसआईपी बंद करने का कोई निश्चित समय नहीं है, लेकिन अपने वित्तीय लक्ष्य पूरे होने पर ही एसआईपी बंद करनी चाहिये।
एसआईपी में निवेश की कोई अधिकतम समय सीमा निर्धारित नहीं है।
एसआईपी में निवेश करने पर डेट फंड में सामान्यतः 5% से 7% तक तथा इक्विटी फंड में 12% से 15% तक रिटर्न मिल जाता है।
एसआईपी पर मिलने वाला रिटर्न टैक्स फ्री नहीं होता। इस पर निवेश की अवधि के हिसाब से लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन और शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स लगता है।
केवल ELSS फंड में किये गये निवेश पर ही इनकम टैक्स में छूट मिलती है। अन्य किसी फंड में निवेश करने पर इनकम टैक्स में कोई छूट नहीं मिलती।
एसआईपी की किश्त बाउंस होने पर म्यूचुअल फंड की तरफ से कोई चार्ज नहीं लिया जाता। आपके बैंक की और से जरूर कुछ चार्ज काटा जा सकता है।
एसआईपी के जरिये निवेश करने पर छोटी अवधि में नुकसान होने की संभावना ज्यादा होती है, लेकिन लम्बी अवधि में यह संभावना बहुत कम हो जाती है।
अगर लम्बे समय की बात की जाये तो एसआईपी एफडी से ज्यादा रिटर्न दे देती है।
ऐसे म्यूचुअल फंड जिनमें डिविडेंड मिलता है, उनमें भी एसआईपी के माध्यम से निवेश किया जा सकता है।
जी हाँ, आप एसआईपी से एकसाथ पैसे निकल सकते हैं।
SWP सिस्टमेटिक विड्रावल प्लान से आप हर महिने पैसे निकाल सकते हैं।
एसआईपी शुरू करने की न्यूनतम आयु 18 वर्ष है। माता-पिता अपने 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के नाम से भी एसआईपी कर सकते हैं।
एसआईपी बंद करने के लिए कोई न्यूनतम समय सीमा नहीं है। आप 5 साल बाद भी एसआईपी बंद कर सकते हैं।
अगर आप कम जोखिम में ज्यादा रिटर्न पाना चाहते हैं तो किसी ब्लूचिप या इंडेक्स फंड में एसआईपी करना सबसे अच्छा है।
एसआईपी कैलकुलेटर की मदद से आप यह पता लगा सकते हैं कि आपके भविष्य के वित्तीय लक्ष्य पूरे करने के लिए आपको आज से कितने रुपये निवेश करने होंगे।
अगर आप एसआईपी की आगे की किश्तें नहीं दे पाते तो ऐसे में आपके पहले से निवेश किये हुए पैसों पर रिटर्न मिलता रहेगा।
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